
भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ हमले के बाद ऑपरेशन सिन्दूर नाम के लिए 4 ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए गए इनमें एक रिलायंस इंडस्ट्री ने और बाकी के 3 अलग अलग व्यक्ति ने किया है..! ये अब आवेदन क्लास 41 के तहत आते है . इसमें शिक्षा,मनोरंजन, संस्कृति, व अन्य गतिविधियां शामिल है..!
सवाल 1: क्या कोई कंपनी या व्यक्ति सैनिक ऑपरेशन(ऑपरेशन सिंदूर)के नाम का ट्रेडमार्क ले सकता है….?
कभी भी भी सरकारी या सैनिक ऑपरेशन के नाम पर ट्रेडमार्क नहीं मिल सकता है।
ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 और चिन्ह और नाम अधिनियम 1950 के अनुसार ऐसे नमो को ट्रेडमार्क कभी नहीं दिया जाता है।
यह इस लिए नहीं किया जाता है कि जनता भ्रमित ना किया जाए और सरकारी पहचान दर्शाया जाए
सवाल 2: एसे ऑपरेशनके नाम कैसे तय किए जाते हैं…?
ऐसे ऑपरेशन के नाम के लिए सेना या सरकार ऑपरेशन के नाम आतंकी तौर के गतिविधियों पे तय किया जाता है..
यह नाम तथ्य होता है और विवाद से बचते है इसके लिए आम भारत में कोई स्पष्ट कानून नहीं है.! जबकि अमेरिका में इसके लिए कोडिंग सिस्टम हैं..।
सवाल 3 : वियना समझौताः प्रतीकात्मक ट्रेडमार्क के नियम”
वियना वर्गीकरण एक अंतरराष्ट्रीय प्रणाली है, जो ट्रेडमार्क के चित्र (जैसे लोग या प्रतीक चिन्ह) को पहचानने में मदद करती है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डुप्लीकेट ट्रेडमार्क को रोका जा सकता है।
निष्कर्ष (Niskarsh):
“ऑपरेशन सिंदूर” जैसे सरकारी या सैनिक अभियानों के नाम का ट्रेडमार्क लिया जाना कानूनी रूप से संभव नहीं है, क्योंकि ये नाम राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की भावना से जुड़े होते हैं। ट्रेडमार्क कानून ऐसे नामों को पंजीकृत करने से रोकता है जो सरकारी पहचान दर्शाते हों या जनता को भ्रमित कर सकते हों। वियना वर्गीकरण जैसे अंतरराष्ट्रीय नियम इस प्रक्रिया को और मजबूत बनाते हैं, जिससे ग रजिस्ट्रेशन को रोका जा स नामक ट्रेडमार्क के