मद्रास हाई कोर्ट ने LGBTQ+ जोड़ों को परिवार बनाने का अधिकार दिया

हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि LGBTQ+ समुदाय के लोग, चाहे उनकी शादी कानूनी रूप से न हुई हो, फिर भी उनके परिवार बनाने का पूरा हक है। यह फैसला एक ऐसी याचिका में आया, जिसमें एक युवती को उसकी महिला साथी के पास रहने की अनुमति दी गई। अदालत ने साफ कहा कि परिवार बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं होती, प्यार और साथ होना ही परिवार की असली पहचान है। यह फैसला समाज में बदलते हुए परिवार के रूप में LGBTQ+ लोगों के हक और सम्मान को मान्यता देता है।

इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि संविधान की धारा 21 के तहत हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी खुद चुनने का अधिकार है और इसमें परिवार बनाने का अधिकार भी शामिल है। साथ ही, कोर्ट ने पुलिस और समाज को भी निर्देश दिए हैं कि वे LGBTQ+ समुदाय के लोगों के खिलाफ भेदभाव न करें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। हालांकि यह फैसला समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं देता, लेकिन यह LGBTQ+ जोड़ों के अधिकारों को मजबूत करता है और उनके जीवन में सम्मान और सुरक्षा का नया रास्ता खोलता है।

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