त्योहार: जब एक जगह सिर्फ़ मंज़िल नहीं, एक एहसास बन जाती है

भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में, कोई भी जगह केवल घूमने की मंज़िल नहीं होती – वह एक जीवंत भावना होती है। और इन भावनाओं को जीवंत करने का काम करते हैं यहाँ के त्योहार।

चाहे वो भक्ति से गूंजते ढोल हों, परंपरा से सराबोर रंग, या लोगों की गर्मजोशी से भरे स्वागत – हर उत्सव उस ज़मीन को एक दिव्य अनुभव में बदल देता है। भारत के किसी भी कोने में जब त्योहार की दस्तक होती है, तो केवल रीति-रिवाज नहीं निभाए जाते, बल्कि वह स्थान मानो जाग उठता है।

एक प्रसिद्ध कहावत है, “किसी जगह को सिर्फ़ देखने मत जाओ, उसकी आत्मा को महसूस करने जाओ।”और यही बात भारतीय त्योहारों पर सटीक बैठती है। ये पर्व केवल कैलेंडर की तारीख़ें नहीं, बल्कि जीवन की धड़कन होते हैं।

भारत में त्योहार आते नहीं – वे आसपास की हर चीज़ को जगा देते हैं।

जब कोई गाँव, कस्बा या शहर किसी उत्सव में डूबा होता है, तो वहाँ की सड़कों, मंदिरों, घरों और दिलों में एक अलग ऊर्जा बहती है।

इसलिए अगली बार जब आप किसी जगह की यात्रा का मन बनाएं, तो उस स्थान के त्योहारों को भी जानें।क्योंकि जब कोई जगह उत्सव मनाती है, तब वह सबसे ज़्यादा खुलकर खुद को दिखाती है – नाचती है, गाती है, और आपकी आत्मा से संवाद करती है।

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