“पधारो म्हारे देश: राजस्थान की शान, संस्कृति और साहस”

राजस्थान: एक एहसास, एक गर्व

राजस्थान – नाम सुनते ही मन में रेत के समंदर, ऊँट की सवारी, शाही किले और रंग-बिरंगे पहनावे की तस्वीरें उभरने लगती हैं। लेकिन यह राज्य सिर्फ अपनी भौगोलिक विशेषताओं या ऐतिहासिक इमारतों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि इसकी आत्मा में बसते हैं वो लोग, जिनके दिलों में अतिथि को देवता मानने की परंपरा आज भी जीवित है।

पधारो म्हारे देश” – यह सिर्फ एक आमंत्रण नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा से निकला भाव है। यह वो जज़्बा है जो हर आने वाले को परिवार का हिस्सा बना देता है। यहाँ की हवाएं भी मेहमानों से कहती हैं कि वे केवल सैर नहीं कर रहे, बल्कि एक शाही विरासत को महसूस कर रहे हैं।

राजस्थान की रेत में बसी है बहादुरी की कहानियाँ – चाहे वो चित्तौड़ की वीरांगना रानियों की जौहर गाथा हो या मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की स्वाभिमान से भरी जंग। यहाँ का हर किला, हर हवेली, हर महल इतिहास की अनकही बातें कहता है।

लोक संगीत की मधुर धुनें जब कानों में गूंजती हैं, तो लगता है जैसे कोई पुराना युग फिर से जीवंत हो गया हो। यहाँ की महिलाओं के रंगीन घाघरे और पुरुषों की बड़ी-बड़ी पगड़ियाँ न सिर्फ परंपरा की पहचान हैं, बल्कि जीवन के हर रंग की झलक भी देती हैं।

राजस्थान सिर्फ एक राज्य नहीं, यह एक जीवित इतिहास है, एक धड़कता हुआ जज़्बा है। और सच कहा जाए तो,

“भारत के दिल में, सबसे ज़ोर से धड़कता है राजस्थान।”

यह वो ज़मीन है जहाँ रेत भी सुनाती है कहानियाँ, और हवाएं भी करती हैं स्वागत।

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