12 जून को जब एयरलाइन AL 171 हादसे का शिकार हुई और आग की लपटों में घिर गई, तब अहमदाबाद में एक ऐसा जज़्बा देखने को मिला जिसने पूरे देश का दिल जीत लिया। हादसा होते ही जहां एक ओर अफरा-तफरी का माहौल था, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों ने किसी हीरो की तरह बिना डरे मोर्चा संभाल लिया।
राजू पटेल और उनकी टीम बने असली फरिश्ते
राजू पटेल और उनकी टीम ने बिना किसी सेफ्टी गियर के आग में कूदकर लोगों की जान बचाई। उनके पास ना स्ट्रेचर था, ना कोई मेडिकल किट — उन्होंने साड़ियों और चादरों को ही स्ट्रेचर बना लिया और घायलों को खींचकर बाहर निकाला। ये जज़्बा दिखाता है कि इंसानियत आज भी ज़िंदा है।
रक्तदान की लहर: 2 घंटे में 900 यूनिट
जब अस्पतालों में ब्लड की ज़रूरत पड़ी, तो शहरवासियों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिर्फ दो घंटे के अंदर 900 से ज़्यादा यूनिट रक्तदान हुआ। यह संख्या सिर्फ एक आँकड़ा नहीं है — यह बताता है कि अहमदाबाद का दिल कितना बड़ा है।
हर मोर्चे पर जुटे लोग
कुछ लोगों ने ट्रैफिक कंट्रोल किया ताकि एम्बुलेंस समय पर पहुंच सके, तो कुछ ने पीड़ित परिवारों के लिए खाना और पानी जुटाया। कई लोगों ने अपने घरों के दरवाजे खोल दिए, शरण दी और यहां तक कि घायल जानवरों को भी बचाया।
एक उदाहरण बन गया अहमदाबाद
यह घटना सिर्फ एक हादसे की कहानी नहीं है, बल्कि उस हिम्मत, एकजुटता और मानवीय भावना की मिसाल है, जो किसी किताब या ट्रेनिंग से नहीं सिखाई जा सकती। अहमदाबाद ने दिखा दिया कि जब ज़िंदगी और मौत के बीच लम्हों की लड़ाई होती है, तब सच्चे हीरो वर्दी या टोपी में नहीं, बल्कि आम लोगों के रूप में सामने आते हैं।
निष्कर्ष:
AL 171 हादसे में जो जानें गईं वो कभी नहीं भुलाई जा सकतीं, लेकिन अहमदाबाद के लोगों ने यह यकीन दिलाया कि जब पूरा देश साथ खड़ा होता है, तब हर अंधेरे में भी एक उम्मीद की किरण जरूर निकलती है।