आज के समय में हर इंसान दुखी क्यों है ?….

“हौसला मत हार गिरकर , ऐ मुसाफिर .. अगर दर्द यहां मिला है, तो दवा भी यहीं मिलेगी।”

आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान किसी न किसी रूप में दुखी या परेशान रहता है। जहां भी जाइए आपको दुखी इंसान मिल ही जाएगा। फिर चाहे वह बच्चा हो, युवा हो या बुजुर्ग इंसान दुख ने किसी को भी नहीं छोड़ा है। समय के साथ-साथ लोगों की खुशी में कमी होती जा रही है। आज की इस AI वाली जिंदगी में आखिर क्यों हर इंसान सुकून और खुशी को तरस रहा है? इस सवाल के कई पहलू हैं जिन्हें समझना जरूरी है।

तुलना की मानसिकता-

आजकल लोग अपने दुख से ज्यादा दूसरे के सुख से परेशान रहते हैं।अपनी तुलना दूसरों से करके उनके जैसे बनने की चाह दुखी होने का एक बहुत बड़ा कारण है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग अपनी जिंदगी के अच्छे पल दिखाते हैं और देखने वाले को लगता है उनकी जिंदगी सबसे बेहतर है। इससे खुद की जिंदगी में कमी लगने लगती है। जबकि लोगों का यह नहीं समझ आता कि वह जो अपने अच्छे पल दिखा रहे हैं उनके भी पूरे पल हैं।लेकिन वह इस दिखावे की दुनिया में बस अपना अच्छा ही दिखा रहे हैं बुरा छुपाए हैं। और वह भी आपको दिखाने के लिए जैसे आप दुखी हो देखकर। और हम उनके झांसे में फंस जाते हैं। हमें इस तुलना वाली मानसिकता से दूर रहना चाहिए।

सबकी जिंदगी अलग है दूसरों की तुलना खुद से से कभी मत करो..।

दुसरो की खुशी से आप दुखी न हो आप अपने में अपनी खुशी ढूंढे..।

दुसरो से जलन करने से अच्छा है कि आप खुद से प्यार करो ..।

लोग अपने अच्छे समय को ही सोशल मीडिया पे दिखते है न कि बुरे समय को ..।

इस दिखावे के दुनिया से मत बहको असली जिंदगी को समझने की कोशिश करो ..।

अपेक्षाओं का बोझ

हर इंसान अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहता है। माता-पिता की अपेक्षाएं समाज का दबाव और खुद से उम्मीदें ये सब मिलाकर मानसिक तनाव को जन्म देती हैं। आज लोग जो है उसमें खुश नहीं रहते पर जो नहीं है उसको पाने के लिए दुखी रहते हैं। जबकि हमें हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए कि, “जो है वह पर्याप्त है”, “मिला तो अच्छा और ना मिला तो और अच्छा ईश्वर ने हमारे लिए इससे अच्छा सोच रखा है.”

आज के इस युग में इन्सान प्रेजेंट में खुश रहने के बजाय फ्यूचर की चिंता में जदा करते रहते है..।

जो आप को मिला है उसी में खुश रहना सीखो..।

जीवन तब ज्यादा आसान हो जाता है जब हमें कुछ और पाने की चाह नहीं होता। जो आप के पास है उसे ही उसमें ही अपनी खुशी ढूढ लिया जाए

अकेलापन-

टेक्नोलॉजी ने भले ही लोगों को वर्चुअली जोड़ दिया हो, लेकिन असल जिंदगी में रिश्तों में दूरी बढ़ गई है।आज के रिश्ते भी दिखावे के और फॉर्मेलिटी के लिए रह गए हैं।भावनात्मकता कहीं खो सी गई है।भावनाओं का आपस में जुड़ाव ना होने से इंसान मन ही मन सब सहता जाता है और धीरे-धीरे अकेला हो जाता है। यह भी एक कारण है आज के समय में दुखी होने का। हमें ज्यादा दोस्त बनाने की बजाय कम ही दोस्त बनाना चाहिए पर ऐसा बनाना चाहिए जो आपकी भावनाओं से जुड़े। आप जिससे अपना हर दुख सुख बांट सकें।

अकेला पन इंसान को धीरे धीरे अंदर से खोखला और तोड़ देता है..।

आज कल के रिश्ते बस ऑनलाइन और सोशल मीडिया तक ही रह गया है

आज के इस टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया, फोन लोगों को पास तो ले आए लेकिन लोगों को एक दूसरे के दिल से बहुत दूर कर दिए है

आप के जी जिंदगी में एक ऐसा दोस्त या व्यक्ति जरूर होना चाहिए जिससे आप अपने दिल की सारी बातें कर सके..।

आत्म- अस्वीकृति-

आज का इंसान दूसरों को खुश करने में इतना व्यस्त है कि वह खुद को खो चुका है। हम दूसरों की खुशी के लिए अपनी खुशी दांव पर लगा देते हैं पर अंत में वह दूसरा भी हमसे खुश नहीं होता। हमें आखिर किसी को क्यों खुश करना है? इस दुनिया में हम सबको खुश नहीं कर सकते, एक खुश तो दूसरा नाराज। अपनी खुशी का मालिक किसी और को क्यों बनाना? हम भूल जाते हैं कि, “आज के समय में लोग तो भगवान से भी खुश नहीं है, फिर हम तो इंसान हैं।”

अपनी खुशी केi कुंजी किसी और के हाथ में देना गलत है.

सबको खुश रखना नामुमकिन है..।

जब हम खुद को स्वीकार (अपना) लेते है तो जिन्दगी में तभी सच्ची शांति मिलती है..।

पूरी जिंदगी हम दूसरे को खुश करते करते अपनी खुशियां और जिंदगी खो देते है ..।

निष्कर्ष…

दुख का कारण जिंदगी नहीं, बल्कि हमारा नजरिया है। अगर हम खुद की तुलना दूसरों से करना छोड़ दें,(प्रत्येक व्यक्ति भगवान द्वारा बनाया गया सिंगल पीस है,उसके जैसा दूसरा कोई नहीं और भगवान ने बनाया है, तो उसमें संदेह कैसा?),अपेक्षाएं कम करें, कम पर सच्चे रिश्ते बनाएं और खुद को स्वीकारें (हम जैसे हैं परफेक्ट हैं, हमसे अच्छा कोई नहीं) तो जीवन खुशहाल और जिंदगी-जिंदा हो सकता है। वरना जी तो हर इंसान रहा है। सुकून बाहर की जगह अंदर ढूंढे।

दुख का असली कारण ज़िंदगी नहीं, बल्कि हमारा नजरिया और सोच है।

हर इंसान खुद में ही एक अनोखा है अपनी तुलना किसी और से करने की जरूरत नहीं है..।

दुसरो से अपेक्षाएं जितनी कम होंगी, जिंदगी उतनी हल्की और सुखद होगी..।

रिश्ते कम ही रखो लेकिन सच्चे रखो..।

सच्चा सुकून बाहर नहीं, अंदर से आता है-खुद को अपनाओ, खुद से प्यार करो..।

“मसाला तो सुकून का है, वरना जिंदगी तो हर कोई काट रहा है।”

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