AI डॉग ‘चंपक’ बना विवाद का कारण | IPL 2025 में ‘चंपक’ नाम बना विवाद का कारण

IPL 2025 में एक AI DOG लाया था यही डॉग के नाम को ले के मचा बवाल ये AI DOG लोगों के मनोरंजन का कारण बन गया था दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, जो कि बच्चों की प्रसिद्ध पत्रिका ‘चंपक’ के प्रकाशक हैं इन्होंने BCCI के खिलाफ ट्रेडमार्क उलंघन को लेके कोर्ट में मामला दर्ज कर दिया है . BCCI ने बताया कि चंपक नाम लोगो ने चुना है और ये तो एक फूल का भी नाम है और यह नाम लोगो ने दिया है इस नमको हमने सोशल मीडिया पोल के द्वारा मिला है

आइए समझते है इसके पीछे का राज क्या है

विवाद का कारण क्या है

चंपक नाम का उपयोग करने पर दिल्ली के एक प्रेस पत्र प्रकाशन जो की बच्चों की प्रसिद्ध पत्रिका चंपक के प्रकाशन हैं (यह एक बच्चो की मनोरंजन पत्रिका है) इस पत्रिका प्रकाशन के कंपनी ने BCCI पे ट्रेडमार्क उल्लंघन का मामला कोर्ट में दर्ज कर दिया है । उसका दावा है कि ये नाम चंपक पहले से ही एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है। BCCI के इस नाम चंपक के उपयोग करने के कारण उसके ब्रांड और पहचान और इज्जत पे इसका गलत प्रभाव पड़ रहा है इसके कारण कम्पनी को नुकसान भी हो रहा है । कंपनी ने इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में दर्ज किया और उच्च न्यायालय ने BCCI से 28 दिन (4हफ्ते) के अंदर जवाब देने को कहा है । और अब अगली सुनवाई 9 जुलाई 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किया है..।

BCCI के द्वारा दिए गए बयान

BCCI के तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जे. साई दीपक ने बताया कि चंपक नाम किसी एक पत्रिका का नहीं है। और यह एक फूल का भी नाम है । उन्होंने यह बताया कि आम जनता ने इस नाम चंपक को किसी भी पत्रिका से नहीं जुड़ेगी । उन्होंने इसका भी उल्लेख किया कि इस Ai Dog को चंपक नाम जनता ने दिया है इस नाम का चयन हम लोगों में सोसल मीडिया पोल के द्वारा किया है। जिसमें दर्शकों और प्रशंसकों द्वारा इस नाम को पसंद किया गया है ।

निष्कर्ष

एक साधारण सा दिखने वाला नाम चंपक को लेकर हुआ इस विवाद हमे यह बताता है कि ट्रेडमार्क क़ानून कितना जटिल और विवादित हो सकता है । यह विवाद हमे यह बता रहा है कि कोई भी नहीं टेक्नोलोजी या कोई प्रोडक्शन कंपनी नाम, कोई प्रोडक्ट, या किसी चीज का नाम जो आगे चल के कोई कंपनी या ब्रांड बनता है इसे में नाम रखने से पहले उसे अच्छी तरह से जांच लेना चाहिए कई इस नाम से पहले। से ही कोई ट्रेडमार्क उपस्थित तो नहीं है । इस विवाद का हल उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित समय 9 जुलाई 2025 को निकल सकता है जो आने वाले समय में इसे ट्रेडमार्क के मामलों के लिए एक उदाहरण बनेगा..।

आखिर ट्रेडमार्क होता क्या है

नीचे दिए गए लिंक में हम लोग पहले ही ट्रेडमार्क पे बाते कर चुके है ( ऑपरेशन सिंदूर के मन को लिए कई लोगों ने ट्रेडमार्क का दावा किया है)

सैनिक ऑपरेशन का नाम, कॉर्पोरेट दावे और कानूनी पेच

नेक्स्ट पोस्ट ट्रेडमार्क क़ानून का ही रहेगा

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